रविवार, 23 नवंबर 2008

प्रथम काव्य संग्रह साया

मेरे द्वारा लिखित पहला काव्य संग्रह .आज पब्लिश हो कर मेरे सामने हैं ....,जिसका सपना मैंने कम और मेरी बेटियों ने ज्यादा देखा :) और इसको लिखने का पब्लिश करवाने का होंसला दिया आप सब पढने वालों ने ..यदि आप सबका इतना प्यार साथ न होता तो शायद मैं अपनी लिखी कविताओं को यूँ किताब के रूप में कभी न ला पाती....इस लिए मैं इसका लोकापर्ण यही चिटठापर्ण के रूप में कर रही हूँ ...आप सबके स्नेह ने ही मुझे आज इस मुकाम तक पहुँचाया है | इस काव्य संग्रह में मैंने अपनी हर तरह की कविता को समेटने की कोशिश की है ..इस में प्यार की मीठी फुहार भी है ...और विरह का दर्द भी है ..

मोहब्बत अगर कभी गुजरो
मेरे दिल से दरवाजे से हो कर
तो बिना दस्तक दिए
दिल में चली आना
की तुम्हारे ही इन्तजार में
मैंने एक उम्र गुजारी है ..[साया से ]

इस किताब में शुरुआत राकेश खंडेलवाल जी के शब्दों से हुई है .| कभी उनसे मुलकात नही हुई है पर उनकी लिखी कविताएं हमेशा मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहीं है | मैं उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ | इस काये संग्रह को अब तक जिन्होंने लिया उन में से कुछ ने अपने विचार भी दिए कुछ जगह इसकी समीक्षा भी आयीं है ..वह सब मैं यहाँ आप देख सकते हैं ..अभी तक जिन्होंने इसको लिया उनका तहे दिल से धन्यवाद ..और बाकी जो लेना चाहे वह इस आई डी पर सम्पर्क कर सकते हैं ..किताब की कीमत महज १२०+ वी पी पी चार्जेस समेत १५० रुपीस है ..धन्यवाद

13 टिप्‍पणियां:

Ranjan ने कहा…

कुछ कवितायें दिल से लिखी है और कुछ दिमाग से ! दर्द के साथ कुछ और दर्द है ! गम के साए में आपका "साया" एक खुबसूरत संग्रह है - शायद यह आपके दिल से काफी नजदीक है , मुझे पसंद आया औरों को भी पसंद आएगा !

अमिताभ ने कहा…

respected ranjuji ,
saaya ke liye badhai!! v shubhkamnayen . aapki betiyon ka sapna pura hua. kamna karta hoon ki bhavishya men bhi aapke aur bhi sangrah aate rahe.

almighty bless u with great
success !!

with regards
& best wishes
amitabh

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

रन्जू जी,
आपको ढेर सारी बधाई। हम तो आपके फैन हैं ही। इस उपलब्धि के लिए आपकी बेटियों को हमारा स्नेह।

पुरुषोत्तम कुमार ने कहा…

कविता संग्रह की बधाई।

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

रंजना [रंजू भाटिया] जी,
अभिवादन।
"आराधक को उपलब्धियॉ स्वय मिलती है।
साधक को सिद्धिया स्वम मिलती है।
न कभी कामना करता है, न याचना।
सागर मे नदियॉ स्वय मिलती है॥।"
प्रथम काव्य संग्रह साया का लोकापर्ण पर मगलकामना।

आपको आमन्त्रण मेरे ब्लोगस पर आये एवम चिट्ठे के टीकाकारो - टीप्पणी करो, प‍र CONDITIONS APPLY ? आलेख पर विचार दे। मगलमय शुभकामनाओ सहित।

"हे प्रभु यह तेरापन्थ"... पर HEY PRABHU YEH TERA PATH

हिन्दीवाणी ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई। समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें।

Udan Tashtari ने कहा…

हमारी भी बहुत बहुत बधाई हो जी आपको. आप तो ग्रेट हो.

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

नए ब्लॉग पर आपका स्वागत हीइस ब्लॉग पर भी निरंतरता की चाहत है समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दे
प्रदीप मानोरिया
09425132060

संगीता पुरी ने कहा…

आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे..... हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Bahadur Patel ने कहा…

bahut-bahut badhai.achchha kam hai. pustak prakashan par badhi.

संगीता-जीवन सफ़र ने कहा…

प्रथम काव्य संग्रह साया के लोकापर्ण पर आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें!मोहब्बत अगर कभी गुजरो
मेरे दिल से दरवाजे से हो कर
तो बिना दस्तक दिए
दिल में चली आना
की तुम्हारे ही इन्तजार में
मैंने एक उम्र गुजारी है .बहुत सुंदर!

Unknown ने कहा…

aadab mohtrma
sabse pehle aap ko aap ki rachnao ke sanghreh ki pratham prakashan ki bahut bahut badhai,
aap ki rachnai kahin na kahin sabhi padne walon ki apni baatain kehti hai or aap ne jo bji rachna likhi hai us main kahin na kahin mujhi mera aks nazar aata hai,

aap ki rachnao ka dusra sangreh bhi jald prakshit ho yahi dua karta hoon

Rajesh

Sajal Ehsaas ने कहा…

bahut bahut badhayi ho...mujhe bahut khushi huyee ki aap jaisi hasti se apne ek lekh par mujhe ashirvaad haasil hua :)